सहज व्यक्ति ही बनता है विजेता
सौरभ स्वीकृत
विजेता निश्चित रूप से सहज और स्वाभिमानी होते हैं और यही गुण उनकी नैतिकता को बढ़ाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों की गतिविधियों को समझने की कोशिश कीजिए। विनम्र व्यक्ति कभी भी अपनी कमजोरी दूसरों के समक्ष नहीं प्रकट करता। कमजोर व्यक्ति में स्वाभिमान नहीं होता और कहीं भी छोटा-सा झटका लगने पर वह समर्पण कर देता है, जबकि एक दृढ़ व्यक्ति कभी भी ऐसा नहीं करता, वह हर परिस्थिति में मजबूत बना रहता है। एक सहज व्यक्ति हमेशा जीतने में विश्वास रखता है।
कई बार कुछ ऐसी चीजें घटती हैं कि हम उन्हें बिना समग्र रूप से जाने हुए घटना पर तुरंत टिप्पणी कर देते हैं। हम अक्सर इस बात में जल्दबाजी करते हैं जिसका असर हमारे व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। इसलिए हमें जब किसी घटना के संदर्भ में पूरी बात मालूम न हो तो देखें और इंतजार करें (वेट एंड वॉच) की नीति अपनानी चाहिए। आगे दी जा रही कहानी से हमें यह समझने में आसानी होगी कि धैर्य क्यों जरूरी है।
शाम के समय एक रेलगाड़ी स्टेशन से चली। उसमें काफी भीड़ थी। रेलगाड़ी में ऑफिस से घर जाने वालों के अलावा बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं चढ़े थे। खिड़की के पास वाली सीट पर एक बुजुर्ग अपने 30-32 साल के जवान पुत्र के साथ बैठे थे। जैसे ही ट्रेन चली तो उस लड़के ने अपने पिता से कहा, कितने सुंदर हरे-भरे खेत हैं। फिर लड़का भी थोड़ी देर बाद बोला, ह्यदेखो पापा, पेड़ों की हरियाली कितनी अच्छी लग रही है। उसका इस तरह से बोलना लोगों को बड़ा अजीब लग रहा था। लोग आपस में बातें करने लगे कि शायद यह व्यक्ति पागल है। इसमें अनूप नाम का युवक भी अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ यात्रा कर रहा था और वह भी उस युवक पर झुंझला रहा था।
एकाएक बारिश शुरू हो गई। खिड़की से होकर बारिश का पानी यात्रियों को भिगोने लगा तो वह युवक खुशी से झूम उठा और बोला, पापा, देखिए कितनी अच्छी बारिश हो रही है। अनूप को गुस्सा आ रहा था, क्योंकि बारिश के पानी से उसके और उसकी पत्नी के कपड़े खराब हो रहे थे। अनूप बोला, ओ बूढे़, क्या तुम देख नहीं रहे कि बारिश हो रही है। अगर तुम्हारा लड़का मानसिक रूप से बीमार है तो इसे पागलखाने में भर्ती करवाओ, कम से कम लोगों को इस तरह से परेशान तो मत करो। वह वृद्ध व्यक्ति पहले तो थोड़ा सकपका गया, लेकिन फिर थोड़ी धीमी आवाज में बोला, हम लोग अस्पताल से घर लौट रहे हैं। आज ही मेरे बेटे को अस्पताल से छुट्टी मिली है। यह जन्मजात अंधा था और पिछले हफ्ते इसकी आंखों का ऑपरेशन हुआ है और इसे नई दृष्टि मिली है। यह प्रकृति व बारिश इसके लिए नई चीजें हैं। आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।
जब तक हम सत्य को नहीं जानते, तब तक हम उस स्थिति या समस्या को समग्र रूप से नहीं जान सकते और जब हम सत्य को जान जाते हैं तो हमारी अपनी प्रतिक्रिया ही हमें बुरी लगने लगती है। इसलिए, सबसे पहले समस्या को समझें, फिर प्रतिक्रिया दें। कई बार हमारा शीघ्र निर्णय और त्वरित प्रतिक्रिया हमें सफलता की ओर जाने से रोक देती है। अस्तित्व की सहिष्णुता ही सफलता का रहस्य है। सदैव शांत रहते हुए जीवन में उठने वाली हर प्रकार की तरंग का धैर्य से सामना कीजिए।
सहज व्यक्ति ही बनता है विजेता
Reviewed by saurabh swikrit
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12:01 pm
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