खूबसूरत रियो डी जेनेरो, मतलब है ‘जनवरी की नदी’

दक्षिणी अमेरिका का सबसे बड़ा देश है ब्राज़ील और इसका बेहद खूबसूरत और दूसरा सबसे बड़ा शहर है रियो डी जेनेरो। 1960 तक यह ब्राज़ील की राजधानी था। रियो डी जेनेरो के नाम का मतलब है ‘जनवरी की नदी’। वास्तव में ब्राजील की खोज करने वाले पुर्तगाली यहां पर जनवरी के महीने में पहुंचे थे। यहां आकर उन्होंने समझा कि वे किसी विशाल नदी के तट पर पहुंच गए हैं, इसलिए उन्होंने इस जगह का नाम ही ‘रियो डी जेनेरो’ अर्थात ‘जनवरी की नदी’ रख दिया। वस्तुतः यह नदी का तट नहीं, अपितु अटलांटिक महासागर की 143 किमी लंबी खाड़ी है।

सुंदरता से भरपूर
रियोवासियों को कारियोकास कहते हैं। वे खुद को अत्यंत सौभाग्यशाली मानते हैं क्योंकि वे रियो जैसे सुंदर नगर में रहते हैं। यहां पर सागर है, वर्षावन हैं, ऊंची पहाड़ियां हैं, यही नहीं पैराग्लाइडिंग, डीप सी फिशिंग, सीडाईविंग, सर्फिंग, वर्षावनों में ट्रैकिंग तथा थक जाने पर सफ़ेद बालू वाले सागर तट पर लेटकर विश्राम की सुविधा है। खाने-पीने के लिए शानदार रेस्टोरेंट और रहने के लिए होटल, इसीलिए ‘कारियाकोस’ यानी रियोवासी अपने नगर को ‘जन्नत’ कहते हैं। सर्वाधिक गौरव की बात यह है कि विश्व के सात अजूबों में से एक ‘क्राइस्ट-द-रिडीमर’ की भव्य प्रतिमा यहीं पर है। जिस प्रकार विश्व में पैरिस की पहचान ‘आइफल टाॅवर’ तथा मास्को की पहचान ‘क्रेमलिन’ से होती है, उसी प्रकार ब्राज़ील की पहचान यह प्रतिमा है। इसके अलावा रियो डी जेनेरो अपनी कुदरती लोकेशन, अपने कार्निवल उत्सव, साम्बा तथा अन्य संगीत, कोपाकबाना व इपानेमा के विशाल तटों पर निर्मित पंक्तिबद्ध होटलों के लिए विश्वविख्यात है। इसके प्रमुख आकर्षणों में उल्लेखनीय हैं-शुगर्लोफ, विशाल ‘साबोड्रोमो’ कार्निवल परेड मंच और विश्व के सबसे बड़े फुटबाल स्टेडियमों में से एक ‘माराकाना स्टेडियम’।
कोरकोवेडो
710 मीटर ऊंचे कोरकोवेडो (कुबड़े) पर्वत पर शोभायमान है ‘क्राइस्ट दी रिडीमर’ की भव्य प्रतिमा। एक ओर पहाड़ी पर खड़े होकर नीचे नगर का विहंगम दृश्य देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध रह जाते हैं तो दूसरी ओर विशाल प्राकृतिक बंदरगाह में लंगर डाले बड़े-बड़े जहाजों का नयनाभिराम दृश्य अविस्मरणीय संस्मरण बन जाता है। पेड्रो द्वितीय ने यहां पर रेलरोड बनाने का आदेश दिया था। 1885 में पहली बार लोग स्टीम रेल से इस ऊंची पहाड़ी पर चढ़ पाए थे। लगभग 50 वर्ष बाद 12 अक्तूबर, 1931 को यहां पर ‘क्राइस्ट दी रिडीमर’ की प्रतिमा अनावृत्त की गयी थी, जो अब दुनिया के सात अजूबों में से एक है। कोरकोवेडो पर्वत पर सर्वोत्तम सुविधाजनक साधन है ‘फनीकुलर ट्रेन’। हरी-भरी वादियों से होती हुई 20 मिनट में ही यह ट्रेन पहाड़ के ऊपर पंहुचा देती है।

क्राइस्ट-दी-रिडीमर
क्राइस्ट-दी-रिडीमर की भव्य प्रतिमा रियो बन्दरगाह तथा रियो नगर के मध्य कोरकोवेडो पर्वत पर शोभायमान है। प्रतिमा की ऊंचाई का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि रियो के किसी भी स्थान पर खड़े होकर यह प्रतिमा देखी जा सकती है। दोनों बाहें फैलाए प्रभु यीशु की यह प्रतिमा रियोवासियों को आशीर्वाद देती दीख पड़ती है। इस प्रतिमा का डिजाइन स्थानीय इंजीनियर हेटर-द-सिल्वा ने तैयार किया था तथा पोलिश मूल के फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लांदोस्की ने प्रतिमा का निर्माण किया। ऊंचाई 130 फुट तथा वज़न 700 टन है।
शुगरलोफ़ पर्वत
रियो डी जेनेरो का लोकप्रिय आकर्षण है शुगरलोफ़ पर्वत शिखर। यह बन्दरगाह से 394 मीटर ऊंचाई पर है। इसकी पृष्ठभूमि में खाड़ी है तथा चारों ओर बन्दरगाह से घिरा है। शिखर पर खड़े होकर खाड़ी को घेरे पूरे पर्वतीय क्षेत्र तथा द्वीप का नयनाभिराम दृश्य देखा जा सकता है। शिखर तक पहुंचने के लिए पहले ‘मोरो-दा-ऊर्का’ तक केबल कार से जाना पड़ता है। वहां से ऊपर जाने के लिए दूसरी केबल कार लेनी पड़ती है। रियो के केंद्र में मोरो-कारा-द-काओ तथा शुगर लोफ़ के बीच 100 मीटर लम्बा ‘प्रेआ-द-ऊर्का’ तट है। कारा-द-काओ में तीन किले हैं। 16वीं सदी में तारे के आकार में निर्मित ‘साओ जोआओ’ सार्वजनिक रूप से खुला रहता है।
तिज़ुका राष्ट्रीय उद्यान
नगर की पृष्ठभूमि में अनेक दर्शनीय स्थलों तथा संरक्षित तिज़ुका वन के मध्य है तिज़ुका राष्ट्रीय उद्यान। यह कोरकोवेडो पर्वत शृंखला पर स्थित क्राइस्ट-डी-रिडीमर की विशाल प्रतिमा के चारों ओर फैला है। यह विश्व का विशालतम नगरीय उद्यान है तथा 3,300 किमी हेक्टेयर भूमि पर फैला है। 1850 में काॅफी की कृषि के कारण बंजर भूमि पर रियो डी जेनेरो में जल संरक्षण हेतू झरनों तथा उद्यान का विकास किया गया था। इसमें अधिकांश वनस्पतियां स्थानीय प्रजाति की हैं। कैपूचीन बंदरों, ब्राज़ीलियन रैकून, रंग-बिरंगे पक्षियों, चीलों, नीली तितलियों व अन्य प्राकृतिक वन्य जीवों का यह प्राकृतिक आवास स्थल है। कोरकोवेडो रेलवे स्टेशन के समीप चित्ताकर्षक चौक ‘लार्गों-दो-बोटिकेरियो’ के इर्द-गिर्द औपनिवेशकालीन शैली में निर्मित घर विशिष्ट आकर्षण का केंद्र हैं। सागरतल से 380 मीटर ऊंचाई पर पेगोडा शैली की पैवेलियन ‘मोरो-दा-विस्ता चेनेसा’ से म्युनिसिपल पार्क, बोटेनिकल गार्डन तथा विशाल दक्षिणी तट का मुग्धकारी दृश्य दिखाई देता है। वन में कलकल बहते झरने अनेक जलप्रपातों का उद्गम स्थल हैं। 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता ‘लेसकेतिना तौपे’ जलप्रपात मुग्धकारी है। विशाल उद्यान में ‘दो एक्यूद’ म्यूज़ियम है। इसमें पाश्चात्य पोर्सलेन से निर्मित अमूल्य कलाकृतियां संग्रहीत हैं।

एस्केडरिया सेलारोन
1990 में चिली मूल के प्रवासी शिल्पकार जार्ज सेलारोन ने ब्राज़ीलवासियों को अनुपम उपहार देने का निर्णय लिया। वे आजीवन 2013 तक अपने इस कार्य के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने अपने घर के बाहर ब्राज़ील के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों-नीले-हरे-पीले-की टाइलों, चीनी के बर्तनों और रंगीन कांच के टुकड़ों को जोड़ कर सीढ़ियां बनानी शुरू की थी। सेलारोन ने यह काम बन रही इमारतों के बाहर पड़े टूटे टाइलों के टुकड़ों से शुरू किया था। मनोरम सीढ़ियों ने दर्शकों, पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। फिर क्या था, उसके पास पूरी दुनिया से टाइलें और चीनी के बर्तन आने लगे। 125 मीटर ऊंची 250 सीढ़ियों के निर्माण में 60 से अधिक देशों की टाइलों व चीनी के बर्तनों का उपयोग किया गया है। फिल्म शूटिंग के लिए यह लोकप्रिय स्थल है। 2016 में आयोजित ओलंपिक खेलों के लिए आवेदन के समय भी रियो की वीडियो में इसको दर्शाया गया था।
पेसिओ पब्लिको एंड सिनेलंडिया
‘स्वेनिडा बेरामार’ से सटा ‘पेसिओ पब्लिको’ एक मनोरम पार्क है। 1779 में कुछ शिल्पकारों ने मिलकर इसका डिजाइन तैयार किया था। यह ब्राज़ील का सबसे पुराना पार्क है। मेस्टरो वलेंतीम तथा लिएंडरो जोआक्विम नामक दो शिल्पियों द्वारा बनाई गयी प्रतिमाएं व पेंटिंग्स पार्क की शोभा बढ़ा रही हैं। अलंकृत प्रवेश द्वार, पत्थरों से बनी सीढ़ियां, शानदार फव्वारे, पौराणिक पात्रों की प्रतिमाएं इस विशाल पार्क के प्रमुख आकर्षण हैं। पूर्व में ‘पार्क फ्लेमंगो’ व ‘मेरीना-दा-ग्लोरीया’ है। द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीदों की स्मृति में स्मारक बना हुआ है। फ्लेमंगो पार्क के उत्तरी छोर पर ‘म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न आर्ट’ है। पेसिओ पब्लिको के साथ है रियो का राजनीतिक, सांस्कृतिक डिस्ट्रक्ट ‘सिनेलेनडिया’। यहां 20वीं सदी के आरंभ में निर्मित भव्य इमारतें दर्शनीय हैं। एवेनिडा प्रेज़ीडेन्ट विल्सन के एक भवन में ‘अकादमी ऑफ लेटर्स’ स्थित है। फ्रेंच साहित्य अकादमी से प्रेरणा लेकर लेखकों, कवियों ने इसकी स्थापना की थी। इसका मूल उद्देश्य ब्राज़ील की पुर्तगाली भाषा का संरक्षण तथा ब्राजीली साहित्य का विकास है।

कोपाकबाना
विश्व में गिने-चुने देशों को नगर के मध्य सुनहरे रेतीले तट होने का सौभाग्य प्राप्त है। रियो ऐसा ही नगर है। यहां डाउनटाउन के एक ओर 4 किमी में फैला विशाल तट है। समीप ही एवेनिडा एटलांटिका, एवेनिडा सोन्होरा-द-कोपाकबाना है। छोटी, संकरी गलियों में सदियों पुरानी इमारतें, शानदार होटल, रेस्टोरेंट और कैफे हैं। इस क्षेत्र का सर्वोत्कृष्ट दर्शनीय स्थल प्रसिद्ध कोपाकबाना राजप्रासाद है। 1920 में निर्मित राजप्रासाद अब एक संरक्षित राष्ट्रीय स्मारक है। प्रख्यात फिल्मी कलाकारों तथा समृद्ध-सम्पन्न लोगों का लोकप्रिय स्थान है। तट के अंतिम छोर पर 1914 में निर्मित कोपाकबाना किला है। यहां पर स्थित ‘म्यूज़ियम ऑफ हिस्ट्री ऑफ आर्मी’ में सैन्य इतिहास को दर्शाया गया है। 20वीं सदी की तोपें भी रखी हुई हैं।
इपानेमा तथा लेबलोन
‘जार्डिम-द-अल्म कनाल’ इपानेमा और लेबलोन के तटों को 4 किमी लम्बे कोपाकबाना के तट से पृथक करती है। अपने मनोरम तटों के कारण प्रख्यात दोनों डिस्िट्रक्ट सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं। आर्ट गैलेरियां, सिनेमा व थियेटर हैं। शानदार होटल, रेस्टोरेंट, कैफे हैं। लेबलोन में प्रत्येक रविवार को एंटीक चीज़ों का बाज़ार लगता है। इपानेमा में रविवार के दिन हस्तशिल्प के सामान की खरीददारी, कला, संगीत व स्थानीय भोजन का आनंद लिया जा सकता है।
क्विंटा-दा-बोआ-विस्टा
साओ क्रिस्टोवाओ में स्थित पुरातन पार्क, भवन तथा राजप्रासाद को सार्वजनिक पार्क तथा म्यूज़ियम में परिवर्तित कर दिया गया है। राजप्रासाद के स्थान पर यह राष्ट्रीय संग्रहालय है। इसमें प्राणीजगत, वनस्पतिजगत, मानवजाति विज्ञान तथा पुरातात्विक विज्ञान से सम्बद्ध देश का विशालतम संग्रह है। लगभग 10 लाख वस्तुएं संग्रहीत हैं। विशाल पार्क में जंगलों, झीलों तथा गुफाओं सहित उद्यान हैं। मिनी ट्रेन में बैठकर उद्यान की सैर का अनुपम आनंद लिया जा सकता है। चिड़ियाघर भी है। इसमें ब्राज़ील सहित पूरे विश्व के 2,000 प्रजातियों के स्तनपायी जीव, पक्षी तथा सरसृप रहते हैं।
साओ बेन्टो
बंदरगाह के ठीक ऊपर पहाड़ी पर साओ बेन्टो चर्च तथा विहार है। यह ब्राज़ील के सर्वोत्कृष्ट चर्च परिसरों में से एक है। प्रारम्भ में चर्च में गलियारे नहीं थे। 17वीं सदी के मध्य इसका विस्तार कर आठ गिरजाघरों का निर्माण किया गया। प्रख्यात शिल्पियों ने इसके भीतरी भाग को अलंकृत किया। दीवारों व छतों पर भव्य नक्काशी मुख्य रूप से डोमिंगो डा कोसिकाओ नामक भिक्षु ने की थी।

कैथेडरल-द-साओ-सेबेस्टिओ
यह रियो का आधुनिकतम गिरजाघर है। वास्तुशिल्पी एडगर फोनेस्का ने इसका डिजाइन मायाकालीन पिरामिडों के आधार पर तैयार किया। इसके 96 मीटर विशाल भीतरी भाग में 5,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
मैराकाना स्टेडियम
नगर के उत्तरी भाग में है विश्व का विशालतम स्टेडियम मैराकाना। यह रियो डी जेनेरो सरकार के स्वामित्व में है। इसका नाम शहर की एक नदी रियो मैराकाना पर है। स्टेडियम की वर्तमान क्षमता 80,000 है। ओलंपिक खेलों का उद्घाटन व समापन समारोह इसी स्टेडियम में होगा।
खास बातें
* गैलीआओ-अंतोनियो कार्लोस जोबिन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जिसको केवल गैलीआओ कहा जाता है, से अनेक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें संचालित होती हैं। भारत से भी लंदन अथवा फ्रैंकफ़र्ट होते हुए विमान सेवा उपलब्ध है।
* रियो में खरीददारी करते समय मोलभाव करना पड़ता है। दुकानदार अक्सर पर्यटकों को वस्तुओं का दाम कम से कम दस प्रतिशत बढ़ा कर बताते हैं। कपड़े, विशेष रूप से ब्राज़ीलियन परिधान खरीदे जा सकते हैं।
* रियो में इपानेमा और कोपकेबाना के तटों पर महंगे होटलों के साथ-साथ फ्लेमंगो और कतेते के इर्द-गिर्द साफ, छोटे, सस्ते आवासगृह भी हैं।
* रियो में सुरक्षा के प्रति सतर्क रहें। डरने की नहीं, सावधानी की आवश्यकता है।
खूबसूरत रियो डी जेनेरो, मतलब है ‘जनवरी की नदी’  खूबसूरत रियो डी जेनेरो, मतलब है ‘जनवरी की नदी’ Reviewed by saurabh swikrit on 6:29 am Rating: 5

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