शिखर को चाहिए लाइफ , कोहली को वाइफ
...किस मुंह से जीत की उम्मीद करते
भारत की
बल्लेबाजी कितनी ही गहरी क्यों ना हो, तीन सौ से ज्यादा रन का बोझ इतना
ज्यादा होता है कि रसातल तक जाने में वक़्त नहीं लगता है। शुरुआत तो ठीक ही
रही मगर एक विकेट के जाते ही जैसे दीवार में से ईंट निकल गयी। अनुष्का
शर्मा के आते ही विराट कोहली को ना जाने क्या हो जाता है। आज हाथ का कैच
छोड़ा और तेरह गेंद खेल कर एक रन ही बन पाया। यहीं से फ्रस्ट्रेशन शुरू हुआ
और निहायत लापरवाही भरा शॉट खेल कर विराट पेवेलियन में जमा हो गए।
शिखर
धवन को एक लाइफ शुरू में मिल गयी थी तो इतने रन बन गए। हर पच्चीस रन पर
धवन को एक लाइफ की जरूरत रहती है। दूसरी नहीं मिली तो पचास नहीं बने। रोहित
तो कभी भरोसे के लायक रहे ही नहीं। हर रन के बाद यही लगता है,अब गए कि तब
गए। सच पूछें तो भारत ने अपने ग्रुप में कोई मुश्किल मुकाबला नहीं खेला।
ऊंट तो अब पहाड़ के नीचे आया। ऑस्ट्रेलिया से जीत की उम्मीद तभी है, जब वही
इतना बुरा खेले कि हार जाए।
भारत
ने तीन सौ से ज्यादा रन पंद्रह बार बनाए हैं,बाद में खेलते हुए, लेकिन
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। देखा जाए तो यह टीम फाइनल
के लायक थी भी नहीं। इतनी कमजोर गेंदबाजी और लापरवाह बल्लेबाजी के बाद किस
मुंह से जीत की उम्मीद करते हैं। जब चार विकेट जाते ही जीत के दरवाजे बंद
हो जाएं तो क्यों कहते हैं कि हमारी बल्लेबाजी में गजब की गहराई है।
ऑस्ट्रेलिया
ने वॉर्नर के जाते ही जैसे अपने को बांध कर रख लिया था। तेज खेलनेवाले
फिंच भी एक-एक रन के लिए तरस रहे थे। स्मिथ ही थे जो अपने स्ट्रोक ठीक से
खेल रहे थे और उन्हीं की वजह से रन भी बन रहे थे। जब स्मिथ और फिंच के
बारे में यह जगजाहिर है कि स्पिन गेंद अच्छे से खेल लेते हैं तो कप्तान
धोनी एकबारगी आश्विन और जडेजा को गेंद थमा कर जैसे भूल ही गए। तेज
गेंदबाजी के सामने ही इन दोनों के पैर कांपते हैं और विकेट भी उन्हें ही
देते हैं। क्या यह बेहतर नहीं होता कि एक तरफ से तेज गेंदबाजी भी चलने दी
जाती। फिर ऐसा क्या हो गया था कि विराट कोहली को भी एक ओवर देकर सात रन
लुटवा दिए। रोहित ने कहीं बेहतर गेंदबाजी पिछले मैचों में की है। वैसे
रोहित की भी जगह तो बन नहीं रही थी, क्योंकि इस जोड़ी को तोड़ने के लिए तेज
गेंद ही चाहिए थी।
पूरे
डेढ़ सौ रन की भागीदारी के बाद धोनी को होश आया और गेंद एक बार फिर यादव को
दी तो उसने स्मिथ को विदा कर दिया। और उसके बाद तो ऑस्ट्रेलिया की साँसे
ही फूलने लगी थीं। फिंच के पिछले पांच मैचों में मिलाकर भी चालीस रन नहीं
हैं,धोनी नेउसके भी रोते-झींकते अस्सी रन बनवा दिए। यदि स्मिथ और फिंच के
रन निकाल दें तो पूरी टीम डेढ़ सौ रन भी नहीं जोड़ पाई। कोई भी बल्लेबाज तीस
रन तक नहीं बना सका। गेंदबाज मिचेल जॉनसन ही रहे,जिन्होंने नौ गेंद पर
सत्ताईस रन कूट दिए।
यादव
से धोनी को ना जाने किस बात का बैर है। माना कि यह खर्चीला बॉलर है,लेकिन
यह भी तो देखा जाना चाहिए कि विकेट लेने का दम भी तो इसी में है। फिर जब
यादव के चार विकेट हो गए थे और उसका एक ओवर बचा था तो फिर मोहित शर्मा को
ओवर किस ख़ुशी में दे दिया गया। यह मान लें कि आज कैच नहीं छूटे,मगर ग्राउंड
फील्डिंग साफ़ नहीं रही और कम से कम बीस रन तो इस गफलत में गए ही।
इस
वर्ल्ड-कप पर भारत की दावेदारी इसलिए ही नजर आ रही कि कमजोर ग्रुप मिला
था। जैसे ही मजबूत से मुकाबला हुआ भारत बाहर हो गया। यह भी संयोग ही है कि
दोनों मेजबान देश ही फाइनल में आमने-सामने होंगे। यानी किसी एक मेजबान का
वर्ल्ड-कप विजेता होना तय हो गया है,वह कौन होगा,इसके लिए रविवार तक
इन्तजार करेंगे हम लोग।
शिखर को चाहिए लाइफ , कोहली को वाइफ
Reviewed by saurabh swikrit
on
9:00 am
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