पोकेमोन गो : दुनिया दीवानी गेम की
पोकेमोन गो एक लोकेशन बेस्ड, ऑगमेंटेड रियल्टी मोबाइल गेम है। ऐसा गेम जिसे हम इंटरनेट और असल दुनिया दोनों में खेलते हैं। इसे खेलने के लिए घर से बाहर निकलना होता है और पोकोमोन स्टोपेज पर हमें पोकेमोन पकड़ना होता है वह भी किसी के वहां पहुंचने से पहले। जितने ज्यादा पोकेमोन पकड़ेंगे स्कोर उतना बढ़ेगा। गेम खेलने के लिए जरूरी है कि यह एंड्रॉयड वर्जन 4.4 से ज्यादा हो या आइओएस फोन हो और इसमें 2 जीबी की रैम हो, जीपीएस और इंटरनेट दोनों हो। जापान की तीन कंपनियों निआनटिक, गेम फ्रीक और क्रिएचर्स की 'द पोकेमोन कंपनी' का मीडिया फ्रैंचाइजी है पोकेमोन। सातोशी ताजीरी ने इसे 1995 में बनाया था। इसमें कुछ फिक्शनल जीव हैं जो पोकेमोन कहलाते हैं और इन्हें ट्रेनिंग देते हैं इंसान...। जिन्हें पोकेमोन ट्रेनर्स कहा जाता है। ये ट्रेनर्स इन्हें पकड़ते हैं और खेल में इन्हें आपसी जंग के लिए तैयार करते हैं। जापानी ब्रांड पॉकेट मोंस्टर का रोमन कांट्रक्शन है पोकेमोन। पोकेमोन कंपनी का नाम भी इसी तरह पड़ा जिससे आगे चल कर ये पोकेमोन गेम्स बन गये। पोकेमोन एक्स और वाई जो इस ग्रुप की छठी जनरेशन है उसमें पूरे 722 फिक्शनल जीव हैं। ये एक ही जैसे होते हैं। उसी तरह एक पिकाचू और कई पिकाचू भी ठीक है। ये एक पूरी प्रजाति का नाम होता है।
40 फीसदी वक्त बीत रहा है पोकेमोन खेलने में
पोकेमोन गो के लिए लोगों की दीवानगी इस कदर है कि गेम्स खेल रहा कहीं कोई पानी में गिर गया, कोई किसी के घर में घुस गया, कोई लूट लिया गया, किसी को चाकू घोंप दिया गया तो किसी को डेडबॉडी मिल गयी। इस गेम का क्रेज लोगों में ऐसा है कि वे वाट्स एप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और मैसेंजर छोड़ ज्यादा वक्त इसे खेलने में बिता रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक जहां वाट्स एप पर यूजर औसतन 30 मिनट का समय दे रहा है, वहीं पोकेमॉन पर करीब 43 मिनट बिता रहा है। यानी करीब 40 प्रतिशत ज्यादा समय। इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि इसे जितनी बार डाउनलोड किया जा चुका है, वो संख्या ट्विटर के यूजर्स के बराबर होने जा रही है। चार साल में पूरी दुनिया में जितने लोगों ने सोशल एप टिंडर डाउनलोड किया, उतने लोगों ने इस गेम को केवल एक हफ्ते में डाउनलोड कर लिया। इस गेम ने अपनी निर्माता कंपनी को अरबों रुपये का फायदा करवा दिया है। लॉन्च होने के महज दो दिन में कंपनी को इससे करीब 500 अरब रुपये की कमाई हो चुकी है।
कैसे लोकप्रिय हुआ गेम
पोकेमॉन गो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसने वर्चुअल और असली दुनिया को मिला दिया है। इसे खेलने के लिए जरूरी है कि आपके पास स्मार्टफोन हो और उसमें इंटरनेट सेवाएं भी मौजूद हों। इस खेल से जुड़ा एप सबसे पहले तो जीपीएस के जरिए आपकी लोकेशन ट्रैक करता है, साथ ही आपके फोन का कैमरा भी इस्तेमाल होने लगता है। इसके बाद कैमरे के जरिए आपके मोबाइल स्क्रीन पर नजर आ रही चीजों के बीच 'पोकेमॉन' नजर आता है, जिसे आपको पकड़ना होता है। पोकेमॉन को पकड़ने के लिए आपको उन पर सफेद और लाल रंग के पोके बॉल्स को फेंकना होता है। इसी आधार पर आपका लेवल बढ़ता जायेगा और आप खेल में आगे बढ़ते जायेंगे। इस गेम की एक और शर्त ये है कि आपको इसे खेलने के लिए घर से बाहर निकलना होगा। गेम प्ले के लिए यह एप गूगल मैप्स इस्तेमाल करता है।
अभी भारत में लॉन्च नहीं हुआ
भारत में यह गेम अभी आधिकारिक तौर पर लॉन्च नहीं हुआ है, फिर कई लोगों ने यहां भी इसे डाउनलोड कर खेलना शुरू कर दिया है। खबरें आ रही है कि दिल्ली और मुंबई के ज्यादातर यूजर्स को पोकेमोन विभिन्न मंदिरों में मिला। सबसे बड़ी चिंता तो इंटरनेट कनेक्शन की है, क्योंकि अगर आपके फोन में 2जी है तो फिर इस गेम को भूल जाइए और 3जी सेवाएं ले रहे हैं तो भी इसे लोड होने में समय लगेगा। गेम घर के बाहर खेलना है तो वाई-फाई का फायदा भी नहीं ले सकते हैं।
1990 में आये वीडियो गेम का ही नया वर्जन!
इस कैरेक्टर को तैयार करने का श्रेय जापान के सतोशी ताजिरी को जाता है। उन्हें बचपन में कीड़े पकड़ने का बहुत शौक था। बस इसी आइडिया को लेकर 1990 में उन्होंने एक वीडियो गेम का कॉन्सेप्ट तैयार किया था। उस गेम में पोकेमोन को पकड़ना होता था, तब ये गेम काफी पॉपुलर भी हुआ था। आप पोकेमोन गो को इसी का अगला संस्करण समझ सकते हैं, जहां अब आपको असली दुनिया में घूमते हुए पोकेमोन को पकड़ना होता है। सभी पोकेमोन को इकट्ठा करके पोकेडेक्स को पूरा करना और पोकेमोन को ट्रेन करना ताकि वो सामने वाले से लड़ सकें और अंत में पोकेमोन लीग जीत सकें। पोकेमोन को ढूंढ़ने के बाद ट्रेनर उसे पोकेबॉल की मदद से पकड़ सकता है और इसके बाद ट्रेनर उस पोकेमोन का मास्टर बन जाता है।
टाइम लाइन जानें
* 30 सितंबर 1998 को यह गेम यूनाइटेड स्टेट्स में लांच हुआ। इसकी पहली जनरेशन में 151 पोकेमोन थे।
* पोकेमोन गोल्ड और सिल्वर के साथ 1999 में इनकी दूसरी जनरेशन आयी इसमें 100 पोकेमोन और जुड़ गये और ये बन गयी 215 पोकेमोन की सीरीज।
* पोकेमोन रूबी और सफायर के साथ 2002 में तीसरी जनरेशन आयी जिसमे 135 नये पोकेमोन थे।
* 2006 में आये पोकेमोन डायमंड और पर्ल और आयी साथ ही चौथी जनरेशन 107 नये पोकेमोन के साथ।
* पोकेमोन ब्लैक और वाइट के साथ 18 सितंबर 2010 को आयी पांचवी जनरेशन और अपने साथ लायी 156 और नये पोकेमोन।
* 8 जनवरी 2013 में बनी जनरेशन छह जिसमे थे पोकेमोन एक्स और वाई।
* 26 फरवरी 2106 में निनेटेंदो ने सातवीं जनरेशन पोकेमोन लॉन्च की।
पोकेमोन गो : दुनिया दीवानी गेम की
Reviewed by saurabh swikrit
on
6:54 am
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