जय जवान जय किसान
भारत एक कृषि-प्रधान देश हैं। यहां 75 प्रतिशत गांव है। गांवों में रहने वाले किसानों का जीवन परोपकार की भावना से भरा हुआ है, पर उसका व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक अवस्था दयनीय दिखाई देती है। भारतीय किसान को भारत माँ का सपूत कहना उचित होगा। भगवान को तो अन्नदाता कहा जाता है, साथ ही किसान को भी इसी उपाधि से विभूषित करते हैं। इसका कारण यह है कि वह परिश्रम करके हमारे लिए तरह-तरह के अनाज उगाता है। संस्कृत में कहा गया है- परोपकाराय सता विभूतय: स'जनों का जीवन दूसरों की भलाई के लिए होता है, किसान भी स'जन है, जिसका सारा जीवन जन-कल्याण से भरा हुआ है।
भारतीय किसान में अनेक गुण होते हैं। वह सादगी की मूर्ति होता है। वह धार्मिक प्रवृत्ति का सत्पुरुष होता है। दो बैल उसके साथी होते हैं। वे भोले-भाले होते हैं। उसका स्वाभाव, दया और सहानुभूति से परिपूर्ण होता है। अन्नदाता कहलाने के बावजूद सामाजिक रूप से उसका जीवन सुखी नहीं होता। निराक्षरता और अज्ञान के कारण गाँव के अन्य लोग उसे अनेक तरह से धोखा देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि उसका अधिकांश जीवन निर्धनता से भरा होता है।
खुशी की बात यह है की भारत सरकार किसानों को साक्षर और आधुनिक तकनीक ज्ञान देने के क्षेत्र में काफी सक्रीय हो गई है। अब भारतीय किसान की दशा सुधरती जा रही है। वह अज्ञान-रूपी अंधकार से ज्ञान-रूपी प्रकाश की ओर बढ़ रहा है। उसे देश-विदेश के अमचारों से अवगत कराया जा रहा है। अब उसका आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा है। उसका भावी जीवन उ"वल दिखाई दे रहा है। भारतीय किसान की दशा केवल खेती से नहीं सुधर सकती। खेती का काम बारहों महीनें नहीं रहता। अंत: गाँव में छोटे-मोटे उद्योग-धंधे भी स्थापित करने चाहिए, जिनमे खेतों के औजार विशेष रूप से बनने चाहिए। यातायात की सुविधा गाँवों को मिलनी चाहिए, जिससे वह अपना अनाज बड़ी मंडियों में बेच सके और बनियों के शोषण से बच सके।
(23 दिसंबर को मनाया जाता है किसान दिवस)
जय जवान जय किसान
Reviewed by saurabh swikrit
on
2:23 am
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