रोबोट से युवाओं को डर


तकनीकी विकास के साथ युवाओं में नौकरी जाने का भय भी तेजी से बढ़ने लगा है। ताजा अध्ययन के मुताबिक युवाओं में यह डर सताने लगा है कि रोबोट जैसे अत्याधुनिक उपकरण कहीं उनकी नौकरी न छीन लें। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब चीन में रोबोट द्वारा एंकरिग और रिपोर्ट तैयार करने की खबरें सामने आ चुकी हैं। 2006 में लगभग 35 लाख 40 हजार सेवा रोबोट्स और लगभग 9 लाख 50 हजार औद्योगिक रोबोटस कार्यरत थे। एक अन्य अनुमान में पाया गया कि साल 2008 में पूरे विश्व में करीब एक करोड़ रोबोट कार्य कर रहे थे, जिसमें से लगभग आधे एशिया में, 32 प्रतिशत यूरोप में, 16 प्रतिशत उत्तरी अमेरिका में, एक प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया में और एक प्रतिशत अफ्रीका में थे। औद्योगिक और सेवा रोबोटों को उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। पहली श्रेणी में ऐसे रोबोट आते हैं जो किसी कार्य को अधिक उत्पादकता, सटीकता, या मनुष्यों की तुलना में धीरज के साथ कर सकते है। जबकि दुसरे ऐसे कार्य करते हैं जिन्हें गंदे, खतरनाक या उबाऊ होने कि वजह से मनुष्य करना नहीं चाहते। फिलहाल इनसे कामगारों में डर बन गया है। आइये, जानते हैं रोबोट से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।


रतीय आईटी कंपनी इंफोसिस की ओर से कराये गये सर्वेक्षण में दस में से चार युवाओं का विश्वास है कि आने वाले दस वर्षों में मशीन अपना काम खुद करने में सक्षम हो जायेंगे। पिछले महीने में प्रकाशित सर्वे नतीजों के अनुसार, पश्चिमी देशों में कराये गये अध्ययन में लगभग आधे युवा कामगारों ने माना कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली उन्हें नौकरी के लिए पर्याप्त तौर पर समर्थ नहीं बनाती है। यूरोपीय देशों में यह भावना सबसे ज्यादा प्रबल हैं। भारत समेत नौ देशों में कराये गये सर्वेक्षण में 16 से 25 वर्ष आयुवर्ग वाले नौ हजार लोगों को शामिल किया गया था। अस्सी फीसद प्रतिभागियों ने बताया कि रोबोट और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के चलते उन्हें खुद ही अपना कौशल विकास करना पड़ता है।
  स्कूल या कॉलेज में इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जाती है। इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाने की वकालत की है।
वकालत करते नजर आयेंगे रोबोट
बीते दिनों खबर आई थी कि रोबोट न्यूज चैनल पर मौसम की जानकारी देते नजर आयेंगे। अब सूचना है कि जल्द ही रोबोट वकालत करेंगे। इससे वकीलों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। अमेरिका में इस तरह के रोबोट पर तेजी से अनुसंधान जारी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई से लैस इन मशीनों में ऐसे प्रोग्राम फीड किये गये हैं कि ये कानून की सभी किताबों को याद रख पायेंगे और जरूरत पड़ने पर पलक झपकते ही हर धारा को सामने रख देंगे। सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क पर प्रकाशित ताजा अध्ययन के मुताबिक, वकीलों के साथ ही डॉक्टरों के भी दैनिक रूटीन वाले कार्य रोबोट से करवाये जा सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलीना स्कूल ऑफ लॉ की अनुसंधानकर्ता दाना रेमुस के मुताबिक, वकील का काम ऑटोमैटिक मशीन से कराने का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। हालांकि अनुसंधानकर्ता मान रहे हैं कि मौजूदा एआई तकनीक को और उन्नत बनाने के बाद ही यह संभव हो पायेगा।
रोबोट पर नियंत्रण के लिए 'रोबोटेरियम'
अमेरिका में अब दूर से रोबोट को नियंत्रित करने के लिए शोध चल रहे हैं। शोधकर्ता इसके लिए नयी प्रयोगशाला 'रोबोटेरियम' विकसित कर रहे हैं। सौ रोबोट की क्षमता वाले इस 'रोबोटेरियम' से दूर स्थित रोबोट नियंत्रित किये जा सकेंगे। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अलावा हाई स्कूल के छात्रों ने प्रयोग के तौर पर इसमें कोड और डाटा फीड किया और वीडियो स्ट्रीमिंग के जरिये रोबोट की गतिविधियों को नियंत्रित किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसपर अभी और काम करना बाकी है लेकिन  रोबोटेरियम अगले साल यानी वर्ष 2017 से काम करने लगेगा।

इंसानी आदेश को 'ना' कहने लगे हैं रोबोट्स
आपने हॉलीवुड फिल्म 'टर्मिनेटर' या 'आई-रोबोट' देखी है या नहीं। यदि देखी है तो आपको याद होगा कि कैसे रोबोट्स और मशीनें इंसानी आदेश मानने से इनकार कर देती हैं। इसका नतीजा बेहद भयंकर रहता है। इंसानी दुनिया पर रोबोट्स का कब्जा हो जाता है। असल जिंदगी में इंसानों की रोजमर्रा की जिंदगी में रोबोट्स का दखल अभी लगभग न के बराबर है। इनका उपयोग उद्योगों में अधिक हो रहा है। एक वीडियो रिपोर्ट में दिखाया गया है कि एक रोबोट ने अपने कंट्रोलर के आदेश को मानने से 'इनकार' कर दिया है। रोबोट को ऐसा लगता है कि वह आदेश उसके लिए सुरक्षित नहीं है। यानी अब रोबोट्स चाहें तो अपने कंट्रोलर, मालिक या मास्टर के आदेश को मानने से इनकार भी कर सकते हैं। कम से कम इस वीडियो में दिख रहे रोबोट ने तो ऐसा ही किया है। यह वीडियो मैसाचुसेट्स की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की एचआरआई प्रयोगशाला में रिकॉर्ड किया गया है। यहां रोबोट को 'ना' कहना सिखाया गया है। यानी रोबोट को अगर ऐसा लगेगा कि किसी काम को करने से उसे खतरा हो सकता है तो वो अपने मास्टर को सीधे मना कर देगा। इस वीडियो में एक टेक्नीशियन अपने रोबोट को खड़े होने और बैठने का आदेश देता है। रोबोट एक टेबल के ऊपर है, इसलिए जैसे ही उसे आगे बढ़ने का आदेश मिलता है, वह कहता है "रङ्म११८, क ूंल्लल्लङ्म३ ङ्मि ३ँ्र२ ं२ ३ँी१ी ्र२ ल्लङ्म २४स्रस्रङ्म१३ ंँींि." यानी क्षमा करें, मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं, क्योंकि आगे सपोर्ट नहीं है। कई जानकारों का कहना है कि रोबोट्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बाद ना कहना सिखाना, इंसानियत के हित में नही है। प्रोफेसर स्टीफन हाकिंग भी कह चुके हैं कि स्वतंत्र रूप से सोचने वाली मशीन्स और रोबोट्स आगे चलकर इंसानियत के लिए खतरा बन सकते हैं। हॉलीवुड फिल्म 'द टर्मिनेटर' तथा 'द मैट्रिक्स' में इस तरह की आशंका दिखाई जा चुकी है। हाकिंग का मानना है कि इस तरह के रोबोट्स विकसित करने से इंसानियत की दौड़ खत्म हो जायेगी।


बात करेगी सोशल रोबोट नैडिन
सिंगापुर की नैनयांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (एनटीयू) ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो आपके दोस्त की तरह आपसे बात करेगा। इसका नाम नैडिन है और यह आपसे बातचीत तो करेगी ही, साथ उस पूरी बातचीत को याद भी रखेगी। इस सोशल रोबोट को बनाने में जिस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है, वो काफी हद तक एप्पल के सीरिज और माइक्रोसॉफ्ट के कोर्टाना जैसा ही है। इसे ऑफिस में बतौर असिस्टेंट और घरों में सहायक के रूप में रखा जा सकता है। इसके साथ जब चाहे तब बातचीत की जा सकती है। एनटीयू को बनाने वाली प्रोफेसर नादिया थलमन का मानना है कि इस रोबोट को स्टार वार्स के गोल्डन ड्रॉयड की तरह भी समझा जा सकता है। इसे ऐसे बनाया और डिजायन किया गया है जिससे यह सामाजिक बना रहे और उसी तरह से व्यवहार भी करे। इसे इस प्रकार प्रोग्राम किया गया जिससे यह सामाजिक भाषा और व्यवहार बनाये रखे। नैडिन को जिस तकनीक पर विकसित किया गया है, उससे भविष्य में टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन को भी वर्चुअल असिस्टेंट के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। यह काफी कम खर्च पर बनने तथा काम करने वाला रोबोट है, जो इंसानों का सहयोगी साबित होगा। प्रोफेसर नादिया का कहना है कि जिस तरह से दुनिया के कई देशों में बूढ़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है और कार्यबल के लिए युवाओं की कमी हो रही है। ऐसे में नैडिन जैसे रोबोट कार्यबल के रूप में उपयोग किये जा सकते हैं।
 
रोबोट से युवाओं को डर रोबोट से युवाओं को डर Reviewed by saurabh swikrit on 5:58 am Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.