राजभवन ने मांगी सफायर की रिपोर्ट



स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई का ब्यौरा तलब
रांची। सफायर इंटरनेशनल स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र विनय कुमार महतो की हत्या के मामले में राजभवन ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। राजभवन ने सरकार से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया है। हालांकि राजभवन की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गयी है। जानकारी के मुताबिक राजभवन ने राज्य सरकार से यह पूछा है कि बच्चे की हत्या के मामले में राज्य सरकार पुलिस की जांच से संतुष्ट है अथवा नहीं। क्या इस मामले की किसी दूसरी एजेंसी से जांच कराने की आवश्यकता वह महसूस करती है? स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सरकार के स्तर पर क्या कार्रवाई की जा रही है।
बताते चलें कि मनबहाल महतो के पुत्र विनय कुमार की चार फरवरी की देररात हत्या कर दी गयी थी। पुलिस ने इस मामले में स्कूल की ही एक शिक्षिका, उसके पति और पुत्र और पुत्री को गिरफ्तार किया है।
यह मामला पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है। पुलिसिया जांच से मृतक का परिवार भी संतुष्ठ नहीं है। परिवार वालों ने घटना की सीबीआइ जांच की मांग की है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए परिजनों को आश्वस्त किया है कि आयोग सीबीआइ जांच की सिफारिश करेगा। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को भी पुलिस की थ्योरी पर एतबार नहीं है। बच्चे की हत्या की सीबीआइ जांच की जोर पकड़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी भी पीडि़त परिवार वालों से मिले थे। उन्होंने भी कहा था कि मामला काफी पेचिदा है। मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। 

सफायर : आठ साल में 80 शिक्षक बर्खास्त
रांची। सफायर इंटरनेशनल स्कूल परिसर के अंदर का सच धीरे-धीरे अब सामने आ रहा है। सुरक्षा खामियों को लेकर कई बार आवाज उठायी गयी। आवाज उठाने वाले कई शिक्षकों को स्कूल मैनेजमेंट ने तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए हटा दिया। यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब से स्कूल खुला है, तब से आज तक करीब 80 शिक्षकों को आरोप लगाकर हटा दिया गया है। वर्ष 2011 तक ही 65 शिक्षक स्कूल मैनेजमेंट की ओर से बर्खास्त कर दिये गये। एक बार स्कूल मैनेजमेंट ने झारखंड हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भवानी वर्मा के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया था। सूत्रों के अनुसार जांच टीम ने भी स्कूल के अंदर और बाहर सुरक्षा की कई खामियां उजागर की थी।
इसके बावजूद मैनेजमेंट ने सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था के लिए किसी प्रकार का कारगर कदम नहीं उठाया। जिस तरह से इस स्कूल से शिक्षकों को हटाया जाता है, वह भी सवालों के घेरे में आ रहा है। स्कूल मैनेजमेंट का अक्सर आरोप रहता है कि शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार को लेकर इस तरह की कार्रवाई की जाती है, तो यह सवाल लाजिमी है कि क्या मैनेजमेंट शिक्षकों के चयन में घोर लापरवाही बरतता है। या फिर जो शिक्षक मैनेजमेंट की करतूतों का विरोध करते हैं, उन्हें स्कूल से हटा दिया जाता है?

 हत्यारोपी के कहने पर हटाया गया था शिक्षक को
वर्ष 2011 की बात है। सफायर स्कूल के उस समय के शिक्षक आरिफ हुसैन के कहने पर मैनेजमेंट ने सिंहमोेड़ निवासी शिक्षक मुन्नीलाल प्रसाद को हटा दिया था। मुन्नीलाल प्रसाद पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था। यहां तक कि उनसे स्पष्टीकरण तक नहीं मांगा गया था। इस संबंध में मैनेजमेंट की ओर से तुपूदाना थाने में सनहा दर्ज कराया गया था। इसमें शिक्षक प्रसाद को काफी परेशान किया गया। बाद में स्कूल की छात्राओं को अश्लील मैसेज करने के आरोप में आरिफ को भी हटा दिया गया था। इसके अलावा सुकुमार झा को भी स्कूल मैनेजमेंट ने हटा दिया था। उन्हें स्कूल की ओर से नेशनल गेम्स के दौरान प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके बावजूद उनसे मैनेजमेंट की ओर से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जब सुकुमार झा ने कहा कि स्कूल के प्रिंसिपल के द्वारा उन्हें राष्ट्रीय खेल में प्रतिनियुक्त किया गया था। यदि प्रिंसिपल उन्हें स्कूल बुलायेंगे, तो वह आ जायेंगे।  इसके बावजूद भी उन्हें स्कूल से हटा दिया गया था। 
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