वाह-वाही लूट रही मोदी सरकार को 'आईना' दिखाता रिपोर्ट कार्ड जारी


'अच्छे दिन' के वादे के साथ सत्ता में बैठी मोदी सरकार जहां दो साल के कार्यकाल को उपलब्धियों भरा बताते हुए जश्न मना रही है, वहीं इसके उलट विरोधी सियासी दल सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेरते हुए उसे आइना दिखाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।  सरकार के खिलाफ ताज़ा हल्लाबोल किया है मार्क्सवादी कमयुनिस्ट पार्टी (माकपा) ने।

माकपा नेताओं का कहना है कि अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों में 62 प्रतिशत की कमी आई और इससे भारत को दो लाख 14 हज़ार करोड़ रुपए की बचत हुई। लेकिन मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में डीजल के दाम 19 बार जबकि पेट्रोल के दाम 16 बार बढ़े हैं।  इतना ही नहीं हर दिन किसानों की औसत आत्महत्या की संख्या 42 से बढ़कर 52 हो गई है। इसी तरह से दलितों, महिलाओं और आदिवासी हाशिये पर धकेल दिए गए।

माकपा ने मोदी सरकार के दो साल के कामकाज के रिपोर्ट कार्ड में यह बात कही है। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, काला धन, किसान आत्महत्या से लेकर सभी मसलों पर सरकार के दो साल के कामकाज की आलोचनात्मक समीक्षा की गई है। बताया गया है कि किस तरह आम आदमी के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं, लेकिन सरकार ने विज्ञापनों पर अपने खर्च में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है और यह बढ़कर 1200 करोड़ रूपए हो गया है।


माकपा पार्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दो साल में चने की दाल की कीमतों में 40 प्रतिशत, अरहर की दाल में 90 प्रतिशत, उड़द में 112 प्रतिशत, मूंग की दाल में 14 प्रतिशत और मसूर की दाल में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि चावल की कीमतों में 17 प्रतिशत, आटा में दस प्रतिशत, चीनी में 18 प्रतिशत दूध में 33 प्रतिशत, टमाटर में 71 प्रतिशत, आलू में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि मोदी सरकार ने निर्यात को 2019-20 तक 900 करोड़ डालर होने का लक्ष्य रखा था लेकिन पिछले 17 महीने में लगातार निर्यात कम होता गया और 261.13 करोड़ डालर का हो गया जो पिछले पांच साल में सबसे कम है जबकि 2013 में यह 465.90 करोड़ डालर था।

इतना ही नहीं पूंजी निवेश में भी कमी आई है। वर्ष 2013 में पूंजी निवेश 5.3 लाख करोड़ रुपए था जो 2014 में घटकर चार लाख करोड़ रुपए हो गया। 2015 में 23 प्रतिशत की कमी आई और यह घटकर 3.11 लाख करोड़ रूपए हो गया।

रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि भाजपा शासित महारष्ट्र में 2014 में 2568 किसानों ने आत्म हत्या की थी जो 2015 में बढ़कर 3228 हो गई, कर्नाटक में भी किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ रही है। यही हाल पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले किसानों के लिए समर्थन मूल्य 50 प्रतिशत बढऩे का वादा किया था लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी इसमें वृद्धि नहीं की गई।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2015 में आठ श्रम आधारित उद्योगों में 1.35 लाख नई नौकरियां थी जो पिछले छह साल में सबसे कम है जबकि मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था। देश में हर साल रोजगार की मांग करने वाले लोगों में एक करोड़ 40 लाख नए लोगों का इजाफा हो जाता है।

इतना ही नहीं बैंकों का डूबा हुआ धन अब 13 लाख करोड़ रुपए हो जाने की आशंका है जो 112 देशों के सकल घरेलू उत्पाद से अधिक है। अमीरों पर 1600 करोड़ रुपए के कर मोदी सरकार ने कम कर दिए और लंबित छह लाख करोड़ कर की वसूली की दिशा में कोई काम नहीं हुआ।                                    साभार: राजस्थान पत्रिका                                 
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